Rajasthan Panch Gaurav Yojana: राजस्थान की पंच गौरव योजना को मिली गति

Published on 28 September 2025 by CareerDec

Rajasthan Panch Gaurav Yojana: राजस्थान की पंच गौरव योजना को मिली गति

राजस्थान में पंचमुखी विकास को बढ़ावा देने के लिए पंच गौरव जैसी योजना को प्रारम्भ किया गया। इस योजना की शुरुआत 17 दिसम्बर 2024 को आयोजना विभाग द्वारा हुई थी। जिसके तहत राज्य के प्रत्येक जिले से 5 तत्व / उत्पाद चयनित किये गए है जिन्हें ‘पंचगौरव’ कहा गया है। प्रत्येक तत्व / उत्पाद हेतु नोडल विभाग निर्धारित किये गए है जो निम्न प्रकार हैं – 

  1. उपज – कृषि विभाग 
  2. प्रजाति – वन विभाग
  3. खेल – खेल विभाग
  4. उत्पाद – उद्योग विभाग 
  5. पर्यटन स्थल – पर्यटन विभाग

हाल ही में बजट 2025 – 26 के तहत राज्य सरकार द्वारा इस योजना को गति प्रदान करने के लिए 550 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। 

राजस्थान में ‘एक वर्ष परिणाम उत्कर्ष’ थीम पर पंच-गौरव कार्यक्रम का आयोजन

राजस्थान सरकार के कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने पर, विभिन्न जिलों में ‘एक वर्ष परिणाम उत्कर्ष’ थीम पर प्रदर्शनी आयोजित की गई। इसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार की उपलब्धियों और विकास कार्यों को प्रदर्शित किया गया। वहीं समारोह में विकास पुस्तिका विमोचन के साथ-ही प्रदेशभर में पंच-मुखी विकास को बढ़ावा देने के लिए पंच-गौरव कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार हर जिले में एक उपज, एक वनस्पतिक प्रजाति, एक उत्पाद, एक पर्यटन स्थल और एक खेल पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। इन पांच तत्वों को प्रत्येक जिले का पंच-गौरव माना जाएगा, जिससे स्थानीय संसाधनों और संस्कृति को प्रोत्साहन मिलेगा और प्रदेश का समग्र विकास सुनिश्चित होगा।

उपज के अंतर्गत सीताफल, अजवाईन, आम, कलौंजी, मक्का, मेथी, किनू, ग्वारपाठा, गुलाब, सौंफ, गेहू, संतरा, चना, प्याज, सरसों, धनिया, लहसुन, धान, आंवला, मटर, गाजर, शहद, आलू, तिल, अमरूद, इसचगोल, अनार, जीरा, पपीता, खजूर, मेहंदी शामिल है। प्रजाति के अन्दर बांस / बेम्बू, बील, सागवान, महुआ, तेंदू, नीम, पलाश, रोहिडा, शीशम, फोग, बकायन, बेर, जामुन, करंज, नीम, खेजड़ी, अमलतास, खैर, चिरोंजी, धौक, सागवान, अर्जुन, ढाक, लेसुआ, अरडू, गूगल, शीशम, कदम्ब, बरगद, पीपल, रोहिडा, पीलू जाल, महुआ, रॉझ को शामिल किया गया है। खेल में तैराकी, कबड्‌डी, हॉकी, फुटबाल, कुश्ती, एथलेटिक्स, तीरंदाजी, बास्केटबाल, वीलीबाल, क्रिकेट, ताइक्वांडो, बॉक्सिंग, जिमनास्टिक शामिल है। 

उत्पाद में ग्रेनाइट एवं मार्बल के उत्पाद, देवा आभूषण, बीकानेरी नमकीन, कृषि आधारित उत्पाद, लकड़ी के उत्पाद, सरसों तेल, कपास के उत्पाद, क्वार्ट्ज एवं फेल्डस्पार पाउडर, टेक्सटाइल उत्पाद, पान मेथी (मसाला), स्लेट स्टोन के उत्पाद, कोटा डोरिया, गार्लिक प्रोडक्ट, चावल, कोटा स्टोन के उत्पाद, ऑटोमाबाईल पार्ट्स, पत्थर के उत्पाद, सनाभूषण, लकड़ी के हस्तशिल्प उत्पाद, लकड़ी के फर्नीचर, फैल्डस्पाद के उत्पाद, ब्लॉक प्रिंटिंग आधारित उत्पाद, ब्लू पॉटरी, स्टोन आधारित उत्पाद, सेंडस्टीन के उत्पाद, खीरमोहन, अमरूद के उत्पाद, कशीदाकारी, टैक्सटाइल उत्पाद, लकड़ी के फर्नीचर, सोनामुखी के उत्पाद, मसाले, येलोस्टोन के उत्पाद शामिल है। 

राजस्थान पंच गौरव योजना में पर्यटन स्थलों का दबदबा

पर्यटन स्थल में फतेहसागर एवं पिछोला झील, चित्तौड़गढ़ दुर्ग, बेणेश्वर धाम, त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, सीतामाता वन्यजीव अभ्यारण, कुम्भलगढ़, जयसमंद झील, करणी माता मंदिर, गोगामेड़ी मंदिर, सालासर बाजाजी मंदिर, हिन्दुमल कोट, बुढ़ा जोहड़, पुष्कर तीर्थ, केकड़ी पुराना शहर, टोडगढ़, मांडलगढ़ किला, जहाजपुर जैन मंदिर, मीराबाई स्मारक, तेजाजी मंदिर, डिग्गी कल्याण जी, चम्बल रिवर फ्रन्ट, रामगढ़ कटेर, तारागढ़ दुर्ग, गागरीन दुर्ग, सरिस्का टाइगर रिजर्व, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, आमेर दुर्ग, लौहागर्ल, खाटू श्याम जी मंदिर, मनसा माता, सांभर झील, श्री दादूदयाल मंदिर, बैराठ, तिजारा जैन मंदिर, केवलादेव नेशनल पार्क, डीग महल, मचकुंड, कैलादेवी मंदिर, कुशालगढ़ लेक के बाबा खाटूश्याम मंदिर, रणथंभौर नैशनल पार्क, किराडू मंदिर, नाकोडा जैन मंदिर, मेहरानगढ़ दुर्ग, खींचन, रणखार, सुधा माता मंदिर, ओरियों गाँव, जैसलमेर दुर्ग, रणकपुर जैन मंदिर, ओसियां को शामिल कर पंच गौरव का निर्माण हर जिले के लिए किया गया है। 

ऊपर दिए गए सभी पर्यटन स्थलों का स्थापत्य एवं एतिहासिक महत्त्व जानने के लिए आप इनसाइट राजस्थान कला एवं संस्कृति (Insight Rajasthan Art & Culture) बुक को पढ़ सकते हैं। राजस्थान की कला एवं संस्कृति अत्यंत सुंदर, रंगीन एवं अनूठी है। इस पुस्तक में प्रयुक्त रंग-बिरंगे चित्रों के माध्यम से आपको रंगीलो राजस्थान की माटी का एहसास होगा। तथ्यों से जुड़ाव की कमी के कारण अक्सर छात्रों को सामान्य ज्ञान याद नहीं हो पाता है लेकिन इस पुस्तक में इस बात पर बड़ी गंभीरता से ध्यान दिया गया है ताकि पाठक राजस्थान की कला और संस्कृति को पढ़ते समय अपना ध्यान पूरी तरह केन्द्रित कर सकें। इस पुस्तक के माध्यम से आप राज्य के नवनिर्मित ज़िलों सहित मानचित्रों के साथ राजस्थान संस्कृति का विस्तृत अध्ययन कर सकते हैं। निश्चित रूप से, यह पुस्तक आपके सपनों को साकार करने में आपका मार्गदर्शन करेगी।